सोमनाथ मंदिर: भारत के हृदय में बसा एक अद्भुत इतिहास

भारत, जो अपनी संस्कृति और धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, उसमें सोमनाथ मंदिर एक अद्वितीय स्थल है जो सम्राटों के हृदय में बसा हुआ है। यह स्थल गुजरात के पश्चिम तट पर स्थित है और इसका इतिहास रोमांचक है।

आपको बता दें कि यह प्रसिद्ध तीर्थधाम ऐसी जगह पर स्थित है जहां अंटार्कटिका तक सोमनाथ समुद्र के बीच एक सीधी रेखा में भूमि का कोई भी हिस्सा नहीं है। यह तीर्थस्थल भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला माना जाता है। इस मंदिर के निर्माण से कई धार्मिक और पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं।

मंदिर का नामकरण:

सोमनाथ मंदिर का नाम भगवान शिव के एक प्रमुख नाम "सोमनाथ" पर आधारित है। सोमनाथ का अर्थ होता है "चंद्रमा का नाथ" जो कि भगवान शिव का एक रूप है। इस मंदिर को अपने आकर्षक शिखर और सांप्राकृतिक रूप से समृद्धि के लिए जाना जाता है। भगवान शिव का यह पहला ज्योर्तिलिंग सोमनाथ तीन हिस्सों में बंटा हुआ है, जिसमें मंदिर का गर्भगृह, नृत्यमंडप और सभामंडप शामिल हैं। इसके शिखर की ऊंचाई करीब 150 फीट है। इस प्रसिद्ध मंदिर के पर स्थित कलश का वजन करीब 10 टन है, जबकि इसकी ध्वजा 27 फुट ऊंची है।

सोमनाथ मंदिर का निर्माण विक्रमादित्य नामक गुजरात के चक्रवर्ती महाराजा श्रीपाद विक्रमादित्य द्वारा किया गया था, जिन्होंने इसे 4 दिसंबर 815 ईसा पूर्व स्थापित किया था।

इस मंदिर का विशेषता सौंदर्य और शिल्पकला में है। मंदिर की विशेषता में से एक है इसके गुंबद का निर्माण, जो उच्चतमता से ऊंचा है और समुद्र की लहरों में इसका प्रतिबिम्ब बहुतेज है। यह गुंबद कई बार तोड़-मरोड़ के बावजूद आज भी गर्व से खड़ा है।

महमूद गजनवी का आक्रमण

सोमनाथ मंदिर का इतिहास आक्रमण और पुनर्निर्माण से भरा हुआ है। आक्रमणकारी आवागमन से इस मंदिर को कई बार नष्ट होना पड़ा, लेकिन भारतीय साहस और धरोहर के प्रति आस्था ने इसे हमेशा फिर से उत्थान कराया। साल 1026 में महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर में हमला कर न सिर्फ उसने मंदिर की अथाह संपत्ति लूटी और मंदिर का विनाश बल्कि हजारों लोगों की जान भी ले ली थी। इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था। सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण और विनाश का सिलसिला काफी सालों तक जारी रहा।

किसने बनवाया वर्तमान का सोमनाथ मंदिर?

गुजरात में स्थित इस वर्तमान मंदिर का निर्माण भारत के पूर्व गृह मंत्री स्वर्गीय सरदार वल्लभ भाई पटेल जी ने करवाया था। जिसके बाद साल 1951 में देश के पहले राष्ट्रपति श्री राजेन्द्र प्रसाद जी ने सोमनाथ मंदिर में ज्योर्तिलिंग को स्थापित किया था।

सोमनाथ मंदिर आज भी भारत में एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहां विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं जो भारतीय और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। सोमनाथ का सुन्दर समुद्र तट, आराध्यता और ऐतिहासिक महत्व से युक्त होकर इसे एक अनुपम स्थल बनाते है

लोककथा

एक लोककथा के मुताबिक इसी पावन स्थान पर भालुका तीर्थ पर भगवान श्रीकृष्ण आराम कर रहे थे, तभी एक शिकारी ने उनेक पैर के तलवे में पदचिन्ह को हिरण की आंख समझकर धोखे से वाण चलाकर शिकार कर लिया जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण यहीं अपना देह त्यागकर बैकुंठ चले गए थे। इसलिए इस मंदिर के परिसर में श्री कृष्ण जी का बेहद आर्कषक और खूबसूरत मंदिर भी बना हुआ है।

ऐसी मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से भक्तों के सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं एवं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सोमनाथ मंदिर के पास स्थित नदी में स्नान करने से कई रोगों से मुक्ति मिलती है।

    भगवान शिव को समर्पित इस प्रसिद्ध मंदिर में स्थित शिवलिंग में रेडियोधर्मी गुण है, जो कि पृथ्वी के ऊपर अपना संतुलन बेहद अच्छे से बनाए रखती है। इस मंदिर के अत्यंत वैभवशाली और समृद्ध होने की वजह से इसे कई बार तोड़ा गया और इसका निर्माण किया गया। इतिहास में महमूद गजनवी द्धारा इस मंदिर पर लूटपाट की घटना काफी चर्चित है। ऐसा माना जाता है कि इसके बाद ही यह मंदिर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गया। सोमनाथ मंदिर से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर द्धारका नगरी है, जहां द्धारकाधीश के दर्शन करने दूर-दूर से लोग आते हैं। सोमनाथ जी की मंदिर की व्यवस्था और देखभाल सोमनाथ ट्रस्ट करती है, सरकार ने ट्रस्ट को जमीन, बाग बगीचे आदि देकर मंदिर की आय की व्यवस्था की है।

कैसे पहुंचे सोमनाथ मंदिर? How To Reach Somnath Temple?

गुजरात के सोमनाथ मंदिर से करीब 55 किलोमीटर दूर स्थित केशोड एयरपोर्ट है, जो कि सोमनाथ मंदिर से सबसे पास है। यह एयरपोर्ट सीधा मुंबई से जुड़ा हुआ है, इस एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद बस और टैक्सी की सहायता से बड़ी आसानी से सोमनाथ मंदिर पहुंचा जा सकता है।

रेल मार्ग के द्धारा सोमनाथ मंदिर के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन वेरावल है, जिसकी सोमनाथ मंदिर से दूरी 7 किलोमीटर है, यह रेलवे स्टेशन अहमदाबाद, गुजरात समेत देश के प्रमुख शहरों से रेल सेवा से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।